माननीय उच्च न्यायालय ने 3 अगस्त 2011 को मालेगांव धमाके के सबन्ध में जमानत यचिका की सुनवाई के दौरान सबूतों के आधार पर पाया कि शिवनारायण कलसांगरा व शयाम साहु का मालेगांव धमाके से कोई सरोकार नहीं है ।उन्हें सिर्फ इसलिए अपराधी करार नहीं दिया जा सकता क्योंकि वो उन लोगों को जानते थे जिन पर धमाके करवाने का संदेह है।
इन्दौर के रहने वाले शिवनारायण कलसांगरा व शयाम साहु को सरकार ने सिर्फ इसलिएOctober 23, 2008 को जेल में डाल दिया क्योंकि शिवनारायण कलसांगरा, रामजी कलसांगरा का भाई है व शयाम लाल साहु उसका विजनेस सहयोगी है। रामजी कलसांगरा पर सरकार को संदेह है कि रामजी ने धमाकों में सहयोग किया है।
मानीय न्यायालय द्वारा इन दो निर्दोश भारतीय नागरिकों को जमानत देना ,विदेशियों के टुकड़ों पर पलने वाली व देश के दुशमनों के इसारे पर काम करने वाली भारतविरोधी PUCLको इतना नागवार गुजरा कि उसने सारी न्यायपालिका को ही सांप्रदायिक करार दे डाला।
हमारे विचार में इस भारतविरोधी संस्था पर यथासीघ्र प्रतिबन्ध लगाकर इसके भारतविरोधी कार्यों व देश के शत्रुओं से इसे मिलने वाले धन की जांच कर इसे इसके कुकर्मों की सजा मिलनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment